अनियंत्रित डायबिटीज के कारण कहीं अपने पैर न गंवा बैठें

वाराणसी। डायबिटीज अगर एक बार अनियंत्रित हो जाए तो खामोश हत्यारा बन जाता है और इस कारण कई अंगों को नुकसान होता है। डायबिटीज पीड़ितों में सबसे ज्यादा शिकायतें डायबिटिक फुट को लेकर मिलती हैं, एक ऐसी स्थिति जिसमें टांगों में छोटा—सा भी जख्म भरने में महीनों लग जाते हैं और कई बार तो इस कारण पैर काटने तक की नौबत आ जाती है।


इस स्थिति से बचाव और प्रबंधन के उपायों के बावजूद पिछले कुछ वर्षों से लाखों डायबिटीज पीड़ितों के पैरों में होने वाली यह समस्या तीन गुना बढ़ गई है। एक अनुमान है कि 10 फीसदी से अधिक डायबिटीज मरीजों के पैरों में अल्सर हो जाता है जिसे ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। डायबिटीक फुट का पहला चरण अंगूठा गंवाने से शुरू होता है जिसमें कई बार सर्जरी करानी पड़ जाती है और सर्जरी के बाद पूरी टांग ही काटनी पड़ती है। कई बार मरीजों को जान भी गंवानी पड़ जाती है।


फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में वैस्कुलर एंड एंडो वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. हिमांशु वर्मा ने कहा, 'शुरुआती चरण के दौरान खून में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाने के कारण मांसपेशियां धीरे—धीरे कमजोर होने लगती हैं और पैरों का स्वरूप बदलने लग जाता है। इस वजह से टहलते वक्त पैरों पर अत्यधिक दबाव पड़ने लगता है। टांगों के कई बिंदुओं पर दबाव पड़ने से त्वचा के ऊपर और अंदर कोशिकाएं टूट जाती हैं।'


नसों में शुगर जमा होते रहने से एक समय बाद संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और छोटा—सा जख्म या जूते के जख्म या खराब नाखून के कारण होने वाला जख्म लंबे समय तक बना रह जाता है। जब यह स्थिति अनियंत्रित हो जाती है तो रक्तनलिकाएं अवरुद्ध हो जाती हैं और अल्सर को ठीक करने के लिए जरूरी रक्त सप्लाई नहीं हो पाती है। अनियंत्रित डायबिटीज के कारण बैक्टीरिया भी फैलते हुए तेजी से संक्रमण बढ़ाने का कारण बन जाता है।


कई अध्ययन बताते हैं कि डायबिटीज फुट समस्याओं वाले 20—30 फीसदी मरीज की धमनी में भी रुकावट आ जाती है और इस वजह से त्वचा, अंगूठों तक रक्तप्रवाह रुक जाता है और पैरों पर दबाव बढ़ जाता है। डॉक्टर वर्मा बताते हैं कि डायबिटीक फुट इनमें से एक या अधिक कारणों से पैर खराब होने लगते हैं। हालांकि अचानक हार्ट अटैक की तरह ही डायबिटीज पीड़ितों के पैरों में भी चुपचाप अटैक होता है और कई लोग इस दर्द की अनदेखी कर देते हैं। कुछ दिन दर्द रहने के बाद फ्रैंक गैंगरीन विकसित हो जाता है और मरीज के अंगूठे के आसपास का रंग लाल या नीला पड़ने लगता है। इसे प्री—गैंगरीन की स्थिति कहा जाता है। इस चरण की पहचान कर ली जाए तो इस संकट से उबरा जा सकता है। कई बार रक्तप्रवाह का मूल्यांकन किए बगैर जब संक्रमित अंगूठे को काट दिया जाता है जब गैंगरीन का पता चलता है। इसमें अंगूठा कटे हुए स्थान से काला पड़ने लगता है। लिहाजा सर्जरी के जरिये अंगूठा काटने से पहले रक्तप्रवाह का पर्याप्त मूल्यांकन जरूरी होता है।'


डायबिटीज का प्रभावी प्रबंधन और पैरों की उचित देखभाल से इसे काटने की स्थिति से बचा जा सकता है और संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। डायबिटीज पीड़ितों को खासतौर से पैरों का ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। पैरों को गुनगुने पानी और साबुन से रोज साफ करें। पैरों की अंगुलियों के बीच सुखाकर रखें। दिन में दो बार पैरों में मॉश्चुराइजर लगाएं। इसे अंगुलियों के बीच न लगाएं। पैरों में छाले, कट या लाली की जांच करते रहें। अपने पैरों की एड़ी की स्थिति जानने के लिए शीशे का इस्तेमाल करें। अपने जूतों में कंकड़, कीट की जांच करने के बाद ही इसे पहनें। घर के अंदर भी नंगे पांव न चलें। नाखूनों को सीधी रेखा में काटें, वृताकार नहीं।


किसी तरह का दर्द, अल्सर या कालापन होने की स्थिति में समय सबसे महत्वपूर्ण है। मरीज को तत्काल किसी वैस्कुलर सर्जन से संपर्क करना चाहिए ताकि शरीर में रक्तप्रवाह की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित हो सके और किसी तरह के जख्म पर उनसे सलाह ले सकें।