किसी भी भारी कसरत को करने से पहले वॉर्म अप करना चाहिए l
हरियाणाः- अभी जब फिट इंडिया मूवमेंट के चलते कई युवाओं ने स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए जिम में कसरतें करने का विकल्प चुना है तबसे जिम में होने वाली असामान्य इंजूरीज की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। इसी के साथ यह तथ्य भी सामने आता है कि व्यवस्थित ट्रेनर्स की कमी है अथवा उनके पास इतने अधिक सीखने वाले ट्रेनीज हैं जिसकी वजह से मसल पुल, स्ट्रैन और मसल रैप्चर जैसी किसी भी जिम में होने वाली सामान्य इंजूरीज बढ़ रही हैं। कम समय में बहुत अच्छी बॉडी पाने की चाहत के साथ-साथ जिम में सेट किए जाने वाले अवास्तविक लक्ष्य और अत्यधिक कसरतें करने के कारण भी चोटों की संख्या बढ़ गई है।
एक अत्यंत सामान्य और जिससे बचा जा सकता है ऐसी एक इंजूरी है कसरत करते समय गलत पॉश्चर बना लेना। गुरूग्राम स्थित फोर्टिस बोन एंड ज्वाइंट इस्टिट्यूट के युनिट हेड और डायरेक्टर डॉ. सुभाष जांगिड फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक चोट लगने के दूसरे कारणों में है मांसपेशी बानाने के लिए अत्यधिक भारी वजन उठाने की कसरत चुन लेना और ड्रग्स लेना, इनमें सबसे अधिक आम है स्टेरॉयड और हारमोन्स का निर्धारित मात्रा से अधिक इस्तेमाल करना।
अक्सर ओवर एक्सरसाइज से मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। ऐसा ही एक केस करण (बदला हुआ नाम) का भी है जो फिटनेस का दीवाना था और प्रतिदिन 2-3 घंटे रोज वर्कआउट करता था। एक दिन वह अपनी बायसेप्स के लिए वर्कआउट कर रहा था तभी एकाएक उसे कोहनी के पास कुछ टूटने का एहसास हुआ और तीव्र दर्द के कारण कई दिनों तक वह वर्क आउट करने के लिए नहीं जा सका। दर्द कम नहीं होने के कारण वह डॉक्टर के पास गया और वहां पता चला कि बायसेप्स की टेंडन कोहनी लेवल पर रैप्चर हो गई है। एमआरआई कराने पर इसकी तस्दीक हो गई। शुक्र है कि वह किसी मादक दवा का सेवन नहीं करता था और डाइट भी अच्छी और नियंत्रित मात्रा में लेता था।
डॉ. सुभाष जांगिड के मुताबिक हम इन दिनों जिम में वर्कआउट से संबंधित मांसपेशियों की चोट की अधिकता देख रहे हैं। इन चोटों को ठीक करने में स्पेशल इंप्लांट और सर्जिकल एक्सपर्टीज की जरूरत होती है। मांसपेशियों की ठीक तरह से काम करते रहने के लिए सर्जिकल रिपेयर करने की जरूरत होती है ताकि ये मरीज अपनी रूटीन गतिविधियां फिर से करने लगें। सभी जिम जाने वालों को सलाह है कि वे जिम जाते समय खुला दिमाग रखें कि वे मांसपेशियां बनाने के लिए बॉडी बिल्डिंग करने जाते हैं या फिट बने रहने के लिए।
डॉ. सुभाष जांगिड का कहना है कि इन दोनों मरीजों के मामलों से यह जाहिर होता है कि जिम में वर्कआउट से संबंधिक इंजूरीज के मामले बढ़ गए हैं। शुक्र है कि ये दोनों मरीज किसी तरह की ड्रग्स की लत में नहीं थे अन्यथा सर्जरी से होने वाली रिकवरी उतनी अच्छी नहीं होती। इन दोनों मरीजों की स्पेशल सर्जरी की तकनीक से ऑपरेशन किए गए और टूटी हुई मांसपेशियो को उनके संबंधित हड्डियों के साथ जोड़ दिया गया। तीन महीनों में ये मरीज अपने सामान्य जीवन में लौट गए अब ये दोनों मरीज वर्कआउट के समय अपने पॉश्चर और वजन को लेकर अधिक सतर्क हो गए हैं। किसी भी भारी कसरत को करने से पहले हरेक को वॉर्म अप करना चाहिए। दिन भर काम करने के बाद जिस तरह हर रात निर्बाध नींद की जरूरत होती है उसी तरह वॉर्म अप भी महत्वपूर्ण है। हफ्ते में एक दिन हर वर्कआउट से पहले स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
Social Plugin