जन्मजात हृदय दोष के बारे में तथ्य:

जन्मजात हृदय दोष यानी सीएचडी वो बीमारी है जो बच्चे के हृदय और वाहिकाओं में होता है. 125 में से एक शिशु ( 1000 जीवित शिशुओं में 8-10 ) के अंदर जन्मजात हृदय दोष पाया जाता हैइनमें से कई बच्चों की स्थिति ठीक हो सकती हैये समस्या मुख्य रूप से नवजात शिशुओंऔर बच्चों में देखी जाती हैलेकिन भारत में बड़े बच्चों में ये केस सामने आते हैं। हेल्थ अवेयरनेस और हेल्थ सुविधाओं के अभाव के चलते जन्मजात हृदय दोष का पता देरी से चलता हैइनमें से करीब 30 फीसदी केस क्रिटिकल होते हैंऔर बच्चे के जन्म के बाद ही इलाज की जरूरत होती हैभारत में इस तरह के मामलों के चलते नवजात शिशुओं की मृत्यु दर 10 फीसदी है। दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी एंड जन्मजात हार्ट डिजीज विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर मुनेश तोमर ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। कैसे पता चलेगा कि आपके बच्चे के हृदय में समस्या हो सकती है ?  
   

1- क्या आपने कभी देखा कि आपका बच्चा नीला पड़ गया है ? 

बच्चे के शरीर का नीला पड़ जाना दिल की बीमारी का एक बड़ा संकेत होता हैऐसे बच्चों को हमेशा दिल की गंभीर बीमारी रहती हैजितनी जल्दी बच्चे के शरीर पर नीलापन दिखाई देता हैलीजिए बच्चे को दिल की उतनी ही गंभीर बीमारी हैनीलापन बढ़ने के साथ सांस तेज  गहरा हो जाना भी बीमारी के संकेत होते हैंइसे ह्यसायनोटिक स्पेल्स कहा जाता हैइसके कारण शिशु के अंदर लंगड़ापनऐंठन या बेहोशी भी हो सकती हैअगर 'सायनोटिक स्पेल्सके संकेत देने वाली कोई हिस्ट्री रही हैतो बच्चे को जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाने की जरूरत परेशानी को बीमारी से जोड़कर देखा है। 

2- क्या आपके बच्चे को बार-बार चेस्ट इंफेक्शन होता है ?

अगर बच्चे को बार-बार चेस्ट इंफेक्शन होता है ये दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है. हालांकि, सर्दी होना या हल्की खांसी अगर बच्चे को हो, तो ये दिल से जुड़ी बीमारियों के लक्षण नहीं होते हैं. चेस्ट इंफेक्शन में आमतौर पर बुखार होता है, तेज सांसें चलती हैं और बच्चे को ठीक होने के लिए एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है. अगर साल में एक बार से ज्यादा लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन होता है तो ये जन्मजात हृदय रोग का संकेत हो जन्मजात हृदय रोग का संकेत हो सकता है। 

3- क्या आपके बच्चे को फीडिंग में कोई समस्या आती है ?  

अगर बच्चा एक बार में ही मां का दूध नहीं पी पा रहा है, खासकर अगर उस वक्त पसीना हो तो ये जन्मजात हृदय रोग का शुरूआती संकेत हो सकता है. बच्चा पांच मिनट तक स्तन से दूध नहीं पी सकता है और इस दौरान अगर उसकी सांस फूल जाती है तो फीडिंग की इस परेशानी को बीमारी से जोड़कर देखा सकता है. दूध पीने के दौरान अगर बच्चे को अधिक पसीना आता है और वो कम मात्रा में दूध पीकर रुक जाता है तो ये भी सही नहीं है. बोतल से दूध पिलाना असामान्य नहीं है. बोतल से दूध पिलाने पर दूध पिलाने का पैटर्न और वजन बढ़ना बेहतर हो जाता है क्योंकि बोतल को चूसने के लिए कम मेहनत की जरूरत होती है। 

4- सही स्पीड से वजन न बढ़ना  

जन्मजात हृदय रोग वाले शिशुओं में खराब फीडिंग पैटर्न होता है और उनका वजन ठीक रेट से नहीं बढ़ता है. हृदय से जुड़ी समस्याओं के चलते शिशु का मेटाबोलिक रेट बढ़ जाता है, और उसे ज्यादा कैलोरी की जरूरत पड़ती है. लेकिन फीडिंग की गलत आदत के चलते वो ठीक से दूध नहीं पी पाते और इससे उनका वजन ठीक से नहीं बढ़ पाता है. इसके अलावा, बार-बार चेस्ट के संक्रमण से वजन में और कमी आती है।  

5- क्या आपने देखा है कि आपका बच्चा खेलते समय अपने हमउम्र बच्चों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।